The Definitive Guide to shiv chalisa in hindi

दिवाली से पहले बन रहा गुरु पुष्य योग, जानें सबसे अच्छा क्यों है?

दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥

आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥

वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

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जय सविता जय जयति दिवाकर!, सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!...

Whosoever offers incense, Prasad and performs arati to Lord Shiva, with like and devotion, enjoys content happiness and spiritual bliss On this globe and hereafter ascends into the abode of Lord Shiva. The poet prays that Lord Shiva taken off the suffering of all and grants them Everlasting bliss.

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद shiv chalisa lyricsl शीश नवावैं॥

सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे॥

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